Man Behind This Yojana

Adarniya Bhaishreeji
At the age of 16, Bhaishreeji started religious studies, which continued till age of 30. From age of 17 years, he kept observing many strict Jain fasts. Now he has been following the five Anu Vratas with utmost precision and has been living a mumukshu life with complete sadhagi, non-violent and non-attached, like a muni. During his college days only, he had taken vow to get married only once in his life. After he lost his dharam patni at age of 32, he brought up his two daughters, got them married. After same he deattached himself from all family ties and relations with all other relatives to live a life of mumukshu. He also deattached from his sansarik name . Bhaishree ji is name given to him by a Jain sadhu Bhagwant . He tried to take diksha twice but could not succeed. Being inspired by Jain Gurubhagwants he adopted extreme simplicity life.
भाईश्री परिचय
१६ वर्षनी उमर मां धार्मिक शास्त्रों नो अभ्यास शुरू कर्यो, जे अभ्यास ३० वर्ष सुधी चालतु रह्युं। १७ वर्ष नी उमर थी अनेको कठोर व्रत लेता गया। आजे पांचे अणुव्रत सूक्ष्मता थी पालन करता रही, खूब साधगी भर्युं, अहिंसक,अपरिग्रही गृहस्थ मुनि समान जीवन जीवे छे। कॉलेज ना काळमा डॉक्टर बनवा इच्छता हता, पण देडका कापवा मंजूर न हता माटे अभ्यास छोड्युं। कॉलेजमा प्रवेश करता ज व्रत लीधुं के जीवनमा एक ज वार विवाह करशे।
३२ वर्ष नी उमरे पत्नी नुं देहांत थयु बे दिकरीओ नुं एकला हाथे पालन पोषण करी, लग्न कराव्या। त्यार बाद समस्त परिवार साथे ना बधा व्यवहारो ने विराम आप्युं। ભાઈશ્રી જી એ જૈન સાધુ ભગવંત દ્વારા આપવામાં આવેલ નામ છે.
दिक्षा लेवाना बे वार प्रयत्न कर्या परंतु, पुण्य ओछुं पड्युं । जैन साधुओ थी प्रेरित थई अत्यंत सादगी अपनावी। जीवन मा अनेक कठोर साधना करी छे अने दीव्य अनुभवों पण कर्या छे। श्रीमंत छे, करोड़ो नुं दान कर्यु छे पण वैभवी विस्तारो थी दूर सामान्य प्रजा वच्चे परिग्रह रहित एकला रहे छे। मोटा दाता छे पण, क्यारे कोई पण संस्था मां कोई पण पद नो स्वीकार कर्यो नथी। ५४ वर्ष नी उमरे व्यापार ना कारोबार थी निवृत्त थई मुंबई छोडी पुना रेहेवा गया, ज्यां ५ वर्ष ना दीर्घ समय सुधी “एकांतवास” मां रही अंतर साधना करी।
२०१२ मां इंटरनेशनल जैन फाउंडेशन (ijf) संस्थानी स्थापना करी। भाईश्रीजी द्वारा रचित अंग्रेजी मां जैन दर्शन पर डिजिटल कोर्स ijf-Jinvaani व्हाट्सएप, इमेल, सोशीयल मिडिया द्वारा विश्वभर मां २ लाख वाचक रह्या! २०१२ थी २०२२ सुधी स्व द्रव्य थी करोड़ो ना खर्चे जिन शासन ना १०८ विविध कार्यो पूर्ण कर्या जेमां १ जिनमंदिर, १ उपाश्रय , १ आगम शास्त्रों माटे श्रुत मंदिर, पौराणिक शास्त्रों पर संशोधन माटे मोटुं द्रव्य, जीवदया – साधर्मिक भक्ती ना अनेक कार्यो, श्री जयंतभाई राही द्वारा नवकार मंत्र ना भाष्यजाप, कच्छ ना भुकंप मां सहाय, कुदरती उपचार केंद्र, योग अने मेडिटेशन ना क्लासेस ब्लड डोनेशन कैंप आदि अनेकानेक कार्यो संपन्न कर्या।
हवे अप्रैल २०२२ मां भारतभर मां १०८ गृह मंदिर निर्माण करवानुं अति विकट संकल्प लीधुं छे. भाईश्री जी की १०८ गृह मंदिर योजना को जैनाचार्य और दिग्गज लोगों का खूब समर्थन मिला | भाईश्री जी के सहयोग से नवी मुंबई के उपनगर न्यू पनवेल में जैन वर्ल्ड सेंटर द्वारा प्रथम जिनालय की प्रतिष्ठा जनवरी २०२३ को धूमधाम से हुई

Bhaishree with Aacharyas
















Bhaishree with Jain Samaj
















Projects done by Bhaishree















